***** पगली लड़की *****


अमावास  की  काली  रातों  में  दिल  का  दरवाजा  खुलता  है ,
जब  दर्द  की   प्याली  रातों  में  गम   आंसूं  के  संग  होते  हैं ,

जब  पिछवाड़े  के  कमरे  में  हम  निपट  अकेले  होते  हैं ,
जब  घड़ियाँ  टिक -टिक  चलती  हैं , सब  सोते  हैं , हम  रोते  हैं ,
जब  बार  बार  दोहराने  से  सारी  यादें  चुक  जाती  हैं ,
जब  उंच -नीच  समझाने  में  माथे  की  नस  दुःख  जाती  हैं ,
तब  एक  पगली  लड़की  के  बिन  जीना  गद्दारी  लगता  है ,
और  उस  पगली  लड़की  के  बिन  मरना  भी  भारी   लगता  है .

जब  पोथे  खली  होते  हैं , जब  हार   सवाली  होते  हैं ,
जब  ग़ज़लें  रास  नहीं  आतीं , अफसाने  गाली  होते  हैं .
जब  बासी  फीकी  धुप  समेटें  दिन  जल्दी  ढल  जाता  है ,
जब  सूरज  का  लास्खर  छत  से  गलियों  में  देर  से  जाता  है ,
जब  जल्दी  घर  जाने  की  इच्छा  मन   ही  मन   घुट  जाती  है ,
जब  कॉलेज  से  घर  लाने  वाली  पहली  बस   छुट  जाती  है ,
जब  बेमन  से  खाना  खाने  पर  माँ  गुस्सा  हो  जाती  है ,
जब  लाख  मन  करने  पर  भी  पारो  पढने  आ  जाती  है ,
जब  अपना  मनचाहा  हर  काम  कोई  लाचारी  लगता  है ,
तब  एक  पगली  लड़की  के  बिन  जीना  गद्दारी  लगता  है ,
और  उस  पगली  लड़की  के  बिन  मरना  भी  भारी  लगता  है .


जब  कमरे  में  सन्नाटे  की  आवाज  सुने  देती  है ,
जब  दर्पण  में  आँखों  के  नीचे  झाई  दिखाई  देती  है ,
जब  बडकी  भाभी  कहती   हैं , कुछ  सेहत  का  भी  ध्यान  करो ,
क्या  लिखते  हो  लल्ला  दिनभर , कुछ  सपनों  का  भी  सम्मान  करो ,
जब  बाबा  वाली  बैठक  में  कुछ  रिश्ते  वाले  आते  हैं ,
जब  बाबा  हमें  बुलाते  हैं , हम  जाते  हैं , घबराते  हैं ,
जब  सारी  पहने  एक  लड़की  का  एक  फोटो  लाया  जाता  है ,
जब  भाभी  हमें  मानती  हैं , फोटो  दिखलाया  जाता   है ,
जब  सारे  घर  का  समझाना  हमको  फनकारी  लगता  है ,
तब  एक  पगली  लड़की  के  बिन  जीना  गद्दारी  लगता  है ,
और  उस  पगली  लड़की  के  बिन  मरना  भी  भारी   लगता  है .


दीदी  कहती  हैं  उस  पगली  लड़की  की  कुछ  औकात  नहीं ,
उसके  दिल  में  भैया  तेरे  जैसे  प्यारे  जस्बात  नहीं ,
वोह  पगली  लड़की  मेरे  लिए  नौ  दिन  भूकी  रहती  है ,
चुप -चुप  सारे  व्रत  करती  है , पर  मुझसे  कभी  ना  कहती  है ,
जो  पगली  लड़की  कहती  है , मैं  प्यार  तुम्ही  से  करती  हूँ ,
लेकिन  में  हूँ  मजबूर  बहुत , अम्मा -बाबा  से  डरती  हूँ ,
उस  पगली  लड़की  पर  अपना  कुछ  अधिकार  नहीं  बाबा ,
यह  कथा -कहानी  किस्से  हैं , कुछ  भी  तो  सार  नहीं  बाबा ,
बस  उस  पगली  लड़की  के  संग  जीना  फुलवारी  लगता  है ,
और  उस  पगली  लड़की  के  भीं  मरना  भी  भारी  लगता  है

3 comments:

Unknown said...

jai ho jai ho kumar vishwas ki

Unknown said...

google analytics par sign in kar le ab

Unknown said...

ye sachayi h aaj ki sb ke sath esa hi hota h jo real love karte h