समझते है वो के पत्थर है हम
समझते है वो के पत्थर है हम
उनको ठोकर मार जायेगे हम
वो एक बार कह दे नफरत है हम से
खुदा कसम पत्थर तो क्या फूल बनकर भी राह में नहीं आयेगे......
ज़िन्दगी में बहुत बार वक़्त ऐसा आयेगा जब
तुमको चाहने वाला ही तुमको रुलाएगा
पर विश्वाश रखना उस पर
अकेले में वो तुमसे कही ज्यादा आंसू बहाएगा...
ना पूछ के मेरे सबर की इन्तहा कहा तक है
तू सितम करके देख तेरी ताकत जहा तक है
वफ़ा की उम्मीद उन्हें होगी पर
मुझे देखना है के तू बेवफा कहा तक है ..
कुछ लोग सितम करने को तैयार बैठे है
कुछ लोग हम पैर दिल हार बैठे है
इश्क को आग का दरिया ही समझ लीजिये
कुछ इस पर कुछ उस पर बैठे है ..
वो हम को पत्थर और खुद को फूल कह कर मुस्कुराया करते है
उन्हें क्या पता पत्थर तो पत्थर ही रहते है फूल ही मुरझाया करते है ..
कुछ खोने का गम ही डर की वजह बनता है
इसलिए आओ तमाम गमो को अपनी खुशियों मे बदले
और साबित कर दे की
डर के आगे जीत है ..
बिता लेंगे तेरे इंतजार मे ज़िन्दगी
तू एक बार आने का वादा तो कर
हम बना लेंगे अपने हाथो से कबर अपनी
तू चिराग जलाने का वादा तो कर .....
रेत पर लिखके मेरा नाम जब तुमने
रेत पर लिखके मेरा नाम जब तुमने
अपने ही हाथों से मिटाया था
तब क्या कोई अश्क तुम्हारी आँखों में
थोडी देर भर आया था …।??????
तब क्या इतना ना हुआ तुमसे कि
कुछ देर ठहर जाओ वहीँ
और सागर की लहरों का इंतज़ार करो ???
कुछ देर और यूंही मेरे नाम के हर्फो से प्यार करो
कोई ना कोई लहर आके मिटा ही देती
नाम मेरा तुम्हारी निगाहों से हटा ही देती
या ये आँखों का समुन्दर भी यही कर जाता
नाम को मेरे तुम्हारी ही नज़र कर जाता
लिखा था तुमने और तुमने ही मिटा डाला था
दिल को इसी बात ने घायल भी कर डाला था
तुम्हारा दिल सागर के किनारे पे यूँ आ कर रोता
तुम्हारे अश्को से मेरा नाम मिटाया होता
ये काश !!! मेरा नाम इस तरह तुमने
रेत पर लिख कर खुद ही मिटाया ना होता
ना गम था मुझे कोई भी फिर
तू भी मेरे लिए पराया ना होता
या रेत से मेरा नाम इस तरह मिटाया ना होता
या मेरा नाम कभी रेत पर लाया ना होता
तुमने भी अश्क यूं बहाया ना होता
और फिर मैंने भी अश्क बहाया ना होता ……
अपने ही हाथों से मिटाया था
तब क्या कोई अश्क तुम्हारी आँखों में
थोडी देर भर आया था …।??????
तब क्या इतना ना हुआ तुमसे कि
कुछ देर ठहर जाओ वहीँ
और सागर की लहरों का इंतज़ार करो ???
कुछ देर और यूंही मेरे नाम के हर्फो से प्यार करो
कोई ना कोई लहर आके मिटा ही देती
नाम मेरा तुम्हारी निगाहों से हटा ही देती
या ये आँखों का समुन्दर भी यही कर जाता
नाम को मेरे तुम्हारी ही नज़र कर जाता
लिखा था तुमने और तुमने ही मिटा डाला था
दिल को इसी बात ने घायल भी कर डाला था
तुम्हारा दिल सागर के किनारे पे यूँ आ कर रोता
तुम्हारे अश्को से मेरा नाम मिटाया होता
ये काश !!! मेरा नाम इस तरह तुमने
रेत पर लिख कर खुद ही मिटाया ना होता
ना गम था मुझे कोई भी फिर
तू भी मेरे लिए पराया ना होता
या रेत से मेरा नाम इस तरह मिटाया ना होता
या मेरा नाम कभी रेत पर लाया ना होता
तुमने भी अश्क यूं बहाया ना होता
और फिर मैंने भी अश्क बहाया ना होता ……
By Sakhi
हम ना भूलेंगे तुझे राह दिखाने वाले
हम ना भूलेंगे तुझे राह दिखाने वाले
ना होंगे तुंझसे खफा छोड़के जाने वाले
वक़्त के साथ बदल जाते सभी लोग यहाँ
लोग मिलते नही है साथ निभाने वाले
मेरा ये दिल बड़ा नाज़ुक है मोम की मानिंद
ना वो समझे है ना समझेंगे जमाने वाले
वो जो दरिया है मिलेगा कभी तो सागर में
होगा तेरा भी भला ए प्यास बुझाने वाले
ये जमाना है क्या तुम जानते नही शायद
ये ना तुझे ज़ख़्म दे मुझे ज़ख़्म लगाने वाले
फलक के आफताब से बरसाती आतिश को
कहीं बुझा ना दे ये अब्र यहाँ आने वाले
मैं और मेरी तन्हाई
रहते हैं साथ साथ मैं और मेरी तन्हाई
करते हैं राज़ की बात मैं और मेरी तन्हाई
दिन तो गुज़र ही जाता है लोगों की भीड़ मैं
करते हैं बसर रात मैं और मेरी तन्हाई
साँसों का क्या भरोसा कब छोड़ दे साथ
लेकिन रहेगी साथ मैं और मेरी तन्हाई
आये ना तुम्हे याद कभी भूल कर भी हम
करते हैं तुम्हे याद मैं और मेरी तन्हाई
आ के पास क्यूँ दूर हो गए हम से
करते हैं तेरी तलाश मैं और मेरी तन्हाई
तुम को रखेंगे साथ जन्नत बना के घर की
रह जाये फिर ना तनहा मैं और मेरी तन्हाई
हर ख़ुशी में कोई कमी सी है
हर ख़ुशी में कोई कमी सी है
हँसती आँखों में भी नमी सी है
दिन भी चुप चाप सर झुकाये था
रात की नफ़्ज़ भी थमी सी है
किसको समझायेँ किसकी बात नहीं
ज़हन और दिल में फिर ठनी सी है
ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
गर्द इन पलकों पे जमी सी है
कह गए हम किससे दिल की बात
शहर में एक सनसनी सी है
हसरतें राख हो गईं लेकिन
आग अब भी कहीं दबी सी है
***** पगली लड़की *****
अमावास की काली रातों में दिल का दरवाजा खुलता है ,
जब दर्द की प्याली रातों में गम आंसूं के संग होते हैं ,
जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं ,
जब घड़ियाँ टिक -टिक चलती हैं , सब सोते हैं , हम रोते हैं ,
जब बार बार दोहराने से सारी यादें चुक जाती हैं ,
जब उंच -नीच समझाने में माथे की नस दुःख जाती हैं ,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है ,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है .
जब पोथे खली होते हैं , जब हार सवाली होते हैं ,
जब ग़ज़लें रास नहीं आतीं , अफसाने गाली होते हैं .
जब बासी फीकी धुप समेटें दिन जल्दी ढल जाता है ,
जब सूरज का लास्खर छत से गलियों में देर से जाता है ,
जब जल्दी घर जाने की इच्छा मन ही मन घुट जाती है ,
जब कॉलेज से घर लाने वाली पहली बस छुट जाती है ,
जब बेमन से खाना खाने पर माँ गुस्सा हो जाती है ,
जब लाख मन करने पर भी पारो पढने आ जाती है ,
जब अपना मनचाहा हर काम कोई लाचारी लगता है ,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है ,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है .
जब कमरे में सन्नाटे की आवाज सुने देती है ,
जब दर्पण में आँखों के नीचे झाई दिखाई देती है ,
जब बडकी भाभी कहती हैं , कुछ सेहत का भी ध्यान करो ,
क्या लिखते हो लल्ला दिनभर , कुछ सपनों का भी सम्मान करो ,
जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्ते वाले आते हैं ,
जब बाबा हमें बुलाते हैं , हम जाते हैं , घबराते हैं ,
जब सारी पहने एक लड़की का एक फोटो लाया जाता है ,
जब भाभी हमें मानती हैं , फोटो दिखलाया जाता है ,
जब सारे घर का समझाना हमको फनकारी लगता है ,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है ,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है .
दीदी कहती हैं उस पगली लड़की की कुछ औकात नहीं ,
उसके दिल में भैया तेरे जैसे प्यारे जस्बात नहीं ,
वोह पगली लड़की मेरे लिए नौ दिन भूकी रहती है ,
चुप -चुप सारे व्रत करती है , पर मुझसे कभी ना कहती है ,
जो पगली लड़की कहती है , मैं प्यार तुम्ही से करती हूँ ,
लेकिन में हूँ मजबूर बहुत , अम्मा -बाबा से डरती हूँ ,
उस पगली लड़की पर अपना कुछ अधिकार नहीं बाबा ,
यह कथा -कहानी किस्से हैं , कुछ भी तो सार नहीं बाबा ,
बस उस पगली लड़की के संग जीना फुलवारी लगता है ,
और उस पगली लड़की के भीं मरना भी भारी लगता है
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