वो भी लाल था किसी मात का




वो भी लाल था किसी मात का
वो भी नूर था किसी आँख का
जो जला के अपनी ख्वाहिशें
तेरे आज को सजा गया !

ए- नौजवां तू जाग अब
ना जी मति को मारकर
जो खा रहे है देश को
दबोच और प्रहार कर !

जो भोग सारे त्याग कर
ख़ुद कफ़न को बांधकर
लहू की हर एक बूँद को
वतन की भेंट कर गया !

है कर्ज उस शहीद का
वो कर्ज तू उतार दे
है, खाल में जो भेड़ की
उन भेड़ियों को मार दे ! !

एतबार हमारा करना,

ता-उम्र बस आपके हैं एतबार हमारा करना,
ख़ुशी में चाहे भुला दो गम में पुकारा करना.

हम सर-ए-राह बिखर जायेंगे खुश्बू बनकर,
किस पहर गुज़रोगे महज़ इक इशारा करना.

लड़खड़ा गर जाऊं कभी ज़िन्दगी के मोड़ों पे,
हाथ मेरा तुम ही थामना और सहारा करना.

इन्साँ ही हूँ खता करना है शुमार फितरत में,
इनायत ये जारी रहे हम पे न किनारा करना.

कामयाब कर ही देगा आपका इश्क नादाँ को,
फिर आप भी एहल-ए-जुनूँ का नज़ारा करना.

स्याह रात भी तड़पाती है आपका नाम लेकर,
चिराग-ए-इश्क का इन रातों में शरारा करना.

बड़े अज़ाब से संभाल पाया हूँ खुद को टूटने से,
अब कभी सवाल-ए-फ़िराक़ ये न दोबारा करना.

'आदि' ना खोलेगा आपके हुज़ूर में ज़ुबाँ अपनी,
जवाब-ए-सवाल-ए-वस्ल आप भी गवारा करना.

                                            आदित्य.

जब मैं छोटा था



जब मैं छोटा था,
शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी...
मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक का वो रास्ता,
क्या क्या नहीं था वहां,
छत के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,
अब वहां "मोबाइल शॉप", "विडियो पार्लर" हैं, फिर भी सब सूना है....
शायद अब दुनिया सिमट रही है......

जब मैं छोटा था,
शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी....
मैं हाथ में पतंग की डोर पकडे, घंटो उडा करता था,
वो लम्बी "साइकिल रेस", वो बचपन के खेल,
वो हर शाम थक के चूर हो जाना,
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है..........
शायद वक्त सिमट रहा है........

जब मैं छोटा था,
शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
दिन भर वो हुज़ोम बनाकर खेलना,
वो दोस्तों के घर का खाना, वो साथ रोना,
अब भी मेरे कई दोस्त हैं, पर दोस्ती जाने कहाँ है,
जब भी "ट्रेफिक सिग्नल" पे मिलते हैं "हाय" करते हैं,
और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं....
                                                                      Durgesh.

मरने के बाद मेरी ये कहानी लिखना

 
 
 
 
मरने  के बाद  मेरी  ये  कहानी  लिखना ,

केसे  हुई  बर्बाद  मेरी  ये  जवानी  लिखना ,

ये  लिखना  मुझे   इन्तिज़ार  बहुत  था  किसी  का ,

आखरी  सांस  की  केसे  हुई  रवानी  लिखना ,

जो  कसमें  खाई  थी  उसने   प्यार  में ,

उन  कसमों  की  क्या  हुई  मुझ पे  मेहेरबानी  लिखना ,

ये  भी  लिखना  के   मेरे   होंट  ख़ुशी  को  तरस  गए ,

कितना  बरसा  उन  आँखों  से  पानी  लिखना ,

और  ये  भी  लिखना  दुआ  देता  था  तुझे ,

बाहर   कफ़न  से  थे  हाथ उसके  ये भी  निशानी  लिखना ...!

हम अजनबी मिले तो थे ...


हम अजनबी मिले तो थे ...
फिर ना जाने कैसे
एक दिन ऐसा लगा
एक परछाई प्रकट हुई है कहीं से
और मेरे संग चल निकली
कभी वो मेरे आगे
कभी में उसके पीछे
वो मेरी हमसफ़र बनी
में उसका ही साया बनी
फिर अजनबी कैसे रहते
हम एक दुसरे से भला
तब जाना हमने एक दुसरे कों
और एक दुसरे कों पढ़ा
जाना, जो मुझमे है वो
वोही उसका भी ख्याल है
जो हाल मेरा है यहाँ
वोही उसका भी तो हाल है

वो ना समझा जिसे हम समझाते रहे



वो ना समझा जिसे हम समझाते रहे,
सारी दुनिया से हम भी छुपाते रहे |

वो ना समझा मेरी दिल के उस राग को ,
पेड़ पौधे भंवर भी जिसे गुनगुनाते रहे |

वो कहता रहा बनव्lऊंगा एक महल तेरे वास्ते
छोटे छोटे घरोंदे हम भी बनाते रहे |

सारी दुनिया की नज़रों में मैं गिर गया,
वक़्त बेवक़्त मुझे वो भी आजमाते रहे |

वो करता रहा किसी बड़े हादसे का इंतज़ार,
छोटे छोटे जख्म हम भी छुपाते रहे |

वो लिखता ही रहा एक गीत मेरे वास्ते,
छोटे छोटे शेर हम भी गुनगुनाते रहे |

********वक़्त नहीं*******

हर  ख़ुशी  है  लोगों  के  दामन  में ,
पर  एक  हंसी  के  लिए  वक़्त  नहीं .
दिन  रात  दौड़ती  दुनिया  में ,
ज़िन्दगी  के  लिए  ही  वक़्त  नहीं .

माँ  की  लोरी  का  एहसास  तो  है ,
पर  माँ  को  माँ  कहने  का  वक़्त  नहीं .
सारे  रिश्तों  को  तो  हम  मार  चुके ,
अब  उन्हें  दफ़नाने  का  भी  वक़्त  नहीं .

सारे  नाम  मोबाइल  में  हैं ,
पर  दोस्ती  के  लिए  वक़्त  नहीं .
गैरों  की  क्या  बात  करें ,
जब  अपनों  के  लिए  ही  वक़्त  नहीं .
आँखों  में  है  नींद  बड़ी ,
पर  सोने  का  वक़्त  नहीं .
दिल  है  ग़मों  से  भरा  ,
पर  रोने  का  भी  वक़्त  नहीं .

पैसों  की  दौड़  में  ऐसे  दौड़े ,
की  थकने  का  भी  वक़्त  नहीं .
पराये  एहसासों  की  क्या  कद्र  करें ,
जब  अपने  सपनो  के  लिए  ही  वक़्त  नहीं .

तू  ही  बता  ए  ज़िन्दगी ,
इस  ज़िन्दगी  का  क्या  होगा ,
की  हर  पल  मरने  वालों  को ,
जीने  के  लिए  भी  वक़्त  नहीं ........

वो ना समझा जिसे हम समझाते रहे


वो ना समझा जिसे हम समझाते रहे,
सारी दुनिया से हम भी छुपाते रहे |

वो ना समझा मेरी दिल के उस राग को ,
पेड़ पौधे भंवर भी जिसे गुनगुनाते रहे |

वो कहता रहा बनव्Iऊंगा एक महल तेरे वास्ते
छोटे छोटे घरोंदे हम भी बनाते रहे |

सारी दुनिया की नज़रों में मैं गिर गया,
वक़्त बेवक़्त मुझे वो भी आजमाते रहे |

वो करता रहा किसी बड़े हादसे का इंतज़ार,
छोटे छोटे जख्म हम भी छुपाते रहे |

वो लिखता ही रहा एक गीत मेरे वास्ते,
छोटे छोटे शेर हम भी गुनगुनाते रहे |

हसरतो के बदल फिर से छाने लगे है


हसरतो के बदल फिर से छाने लगे है.
वो ख्यालो में फिर मेरे आने लगे है

मौसम बहारो का नहीं है फिर भी
गुल पतझड़ में खुशबू बिखराने लगे है

कोई न कोई बात है उनके दिल में
हमारी गली में जो वो आने लगे है

बिना पिए ही जाने किसके असर से
कदम उनके अब डगमगाने लगे है

निगाहों में उनकी जाने कैसी कशिश है
ख्याल उन तक ही बस जाने लगे है

जो किया ‘सखी’ उनसे सवाल हमने
नए नए बहाने कई वो बनाने लगे है.....
                                                  

समझते है वो के पत्थर है हम


समझते है वो के पत्थर है हम
उनको ठोकर मार जायेगे हम
वो एक बार कह दे नफरत है हम से
खुदा कसम पत्थर तो क्या फूल बनकर भी राह में नहीं आयेगे......
ज़िन्दगी में बहुत बार वक़्त ऐसा आयेगा जब
तुमको चाहने वाला ही तुमको रुलाएगा
पर विश्वाश रखना उस पर
अकेले में वो तुमसे कही ज्यादा आंसू बहाएगा...
ना पूछ के मेरे सबर की इन्तहा कहा तक है
तू सितम करके देख तेरी ताकत जहा तक है
वफ़ा की उम्मीद उन्हें होगी पर
मुझे देखना है के तू बेवफा कहा तक है ..
कुछ लोग सितम करने को तैयार बैठे है
कुछ लोग हम पैर दिल हार बैठे है
इश्क को आग का दरिया ही समझ लीजिये
कुछ इस पर कुछ उस पर बैठे है ..
वो हम को पत्थर और खुद को फूल कह कर मुस्कुराया करते है
उन्हें क्या पता पत्थर तो पत्थर ही रहते है फूल ही मुरझाया करते है ..
कुछ खोने का गम ही डर की वजह बनता है
इसलिए आओ तमाम गमो को अपनी खुशियों मे बदले
और साबित कर दे की
डर के आगे जीत है ..
बिता लेंगे तेरे इंतजार मे ज़िन्दगी
तू एक बार आने का वादा तो कर
हम बना लेंगे अपने हाथो से कबर अपनी
तू चिराग जलाने का वादा तो कर .....

रेत पर लिखके मेरा नाम जब तुमने


रेत पर लिखके मेरा नाम जब तुमने

अपने ही हाथों से मिटाया था

तब क्या कोई अश्क तुम्हारी आँखों में

थोडी देर भर आया था …।??????

तब क्या इतना ना हुआ तुमसे कि

कुछ देर ठहर जाओ वहीँ

और सागर की लहरों का इंतज़ार करो ???

कुछ देर और यूंही मेरे नाम के हर्फो से प्यार करो

कोई ना कोई लहर आके मिटा ही देती

नाम मेरा तुम्हारी निगाहों से हटा ही देती

या ये आँखों का समुन्दर भी यही कर जाता

नाम को मेरे तुम्हारी ही नज़र कर जाता

लिखा था तुमने और तुमने ही मिटा डाला था

दिल को इसी बात ने घायल भी कर डाला था

तुम्हारा दिल सागर के किनारे पे यूँ आ कर रोता

तुम्हारे अश्को से मेरा नाम मिटाया होता

ये काश !!! मेरा नाम इस तरह तुमने

रेत पर लिख कर खुद ही मिटाया ना होता

ना गम था मुझे कोई भी फिर

तू भी मेरे लिए पराया ना होता

या रेत से मेरा नाम इस तरह मिटाया ना होता

या मेरा नाम कभी रेत पर लाया ना होता

तुमने भी अश्क यूं बहाया ना होता

और फिर मैंने भी अश्क बहाया ना होता ……
                                                 

हम ना भूलेंगे तुझे राह दिखाने वाले


हम ना भूलेंगे तुझे राह दिखाने वाले
ना होंगे तुंझसे खफा छोड़के जाने वाले

वक़्त के साथ बदल जाते सभी लोग यहाँ
लोग मिलते नही है साथ निभाने वाले

मेरा ये दिल बड़ा नाज़ुक है मोम की मानिंद
ना वो समझे है ना समझेंगे जमाने वाले

वो जो दरिया है मिलेगा कभी तो सागर में
होगा तेरा भी भला ए प्यास बुझाने वाले

ये जमाना है क्या तुम जानते नही शायद
ये ना तुझे ज़ख़्म दे मुझे ज़ख़्म लगाने वाले

फलक के आफताब से बरसाती आतिश को
कहीं बुझा ना दे ये अब्र यहाँ आने वाले

मैं और मेरी तन्हाई


रहते हैं साथ साथ मैं और मेरी तन्हाई
करते हैं राज़ की बात मैं और मेरी तन्हाई

दिन तो गुज़र ही जाता है लोगों की भीड़ मैं
करते हैं बसर रात मैं और मेरी तन्हाई

साँसों का क्या भरोसा कब छोड़ दे साथ
लेकिन रहेगी साथ मैं और मेरी तन्हाई

आये ना तुम्हे याद कभी भूल कर भी हम
करते हैं तुम्हे याद मैं और मेरी तन्हाई

आ के पास क्यूँ दूर हो गए हम से
करते हैं तेरी तलाश मैं और मेरी तन्हाई

तुम को रखेंगे साथ जन्नत बना के घर की
रह जाये फिर ना तनहा मैं और मेरी तन्हाई

हर ख़ुशी में कोई कमी सी है



हर ख़ुशी में कोई कमी सी है

हँसती आँखों में भी नमी सी है


दिन भी चुप चाप सर झुकाये था
रात की नफ़्ज़ भी थमी सी है


किसको समझायेँ किसकी बात नहीं
ज़हन और दिल में फिर ठनी सी है


ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
गर्द इन पलकों पे जमी सी है


कह गए हम किससे दिल की बात
शहर में एक सनसनी सी है


हसरतें राख हो गईं लेकिन
आग अब भी कहीं दबी सी है

***** पगली लड़की *****


अमावास  की  काली  रातों  में  दिल  का  दरवाजा  खुलता  है ,
जब  दर्द  की   प्याली  रातों  में  गम   आंसूं  के  संग  होते  हैं ,

जब  पिछवाड़े  के  कमरे  में  हम  निपट  अकेले  होते  हैं ,
जब  घड़ियाँ  टिक -टिक  चलती  हैं , सब  सोते  हैं , हम  रोते  हैं ,
जब  बार  बार  दोहराने  से  सारी  यादें  चुक  जाती  हैं ,
जब  उंच -नीच  समझाने  में  माथे  की  नस  दुःख  जाती  हैं ,
तब  एक  पगली  लड़की  के  बिन  जीना  गद्दारी  लगता  है ,
और  उस  पगली  लड़की  के  बिन  मरना  भी  भारी   लगता  है .

जब  पोथे  खली  होते  हैं , जब  हार   सवाली  होते  हैं ,
जब  ग़ज़लें  रास  नहीं  आतीं , अफसाने  गाली  होते  हैं .
जब  बासी  फीकी  धुप  समेटें  दिन  जल्दी  ढल  जाता  है ,
जब  सूरज  का  लास्खर  छत  से  गलियों  में  देर  से  जाता  है ,
जब  जल्दी  घर  जाने  की  इच्छा  मन   ही  मन   घुट  जाती  है ,
जब  कॉलेज  से  घर  लाने  वाली  पहली  बस   छुट  जाती  है ,
जब  बेमन  से  खाना  खाने  पर  माँ  गुस्सा  हो  जाती  है ,
जब  लाख  मन  करने  पर  भी  पारो  पढने  आ  जाती  है ,
जब  अपना  मनचाहा  हर  काम  कोई  लाचारी  लगता  है ,
तब  एक  पगली  लड़की  के  बिन  जीना  गद्दारी  लगता  है ,
और  उस  पगली  लड़की  के  बिन  मरना  भी  भारी  लगता  है .


जब  कमरे  में  सन्नाटे  की  आवाज  सुने  देती  है ,
जब  दर्पण  में  आँखों  के  नीचे  झाई  दिखाई  देती  है ,
जब  बडकी  भाभी  कहती   हैं , कुछ  सेहत  का  भी  ध्यान  करो ,
क्या  लिखते  हो  लल्ला  दिनभर , कुछ  सपनों  का  भी  सम्मान  करो ,
जब  बाबा  वाली  बैठक  में  कुछ  रिश्ते  वाले  आते  हैं ,
जब  बाबा  हमें  बुलाते  हैं , हम  जाते  हैं , घबराते  हैं ,
जब  सारी  पहने  एक  लड़की  का  एक  फोटो  लाया  जाता  है ,
जब  भाभी  हमें  मानती  हैं , फोटो  दिखलाया  जाता   है ,
जब  सारे  घर  का  समझाना  हमको  फनकारी  लगता  है ,
तब  एक  पगली  लड़की  के  बिन  जीना  गद्दारी  लगता  है ,
और  उस  पगली  लड़की  के  बिन  मरना  भी  भारी   लगता  है .


दीदी  कहती  हैं  उस  पगली  लड़की  की  कुछ  औकात  नहीं ,
उसके  दिल  में  भैया  तेरे  जैसे  प्यारे  जस्बात  नहीं ,
वोह  पगली  लड़की  मेरे  लिए  नौ  दिन  भूकी  रहती  है ,
चुप -चुप  सारे  व्रत  करती  है , पर  मुझसे  कभी  ना  कहती  है ,
जो  पगली  लड़की  कहती  है , मैं  प्यार  तुम्ही  से  करती  हूँ ,
लेकिन  में  हूँ  मजबूर  बहुत , अम्मा -बाबा  से  डरती  हूँ ,
उस  पगली  लड़की  पर  अपना  कुछ  अधिकार  नहीं  बाबा ,
यह  कथा -कहानी  किस्से  हैं , कुछ  भी  तो  सार  नहीं  बाबा ,
बस  उस  पगली  लड़की  के  संग  जीना  फुलवारी  लगता  है ,
और  उस  पगली  लड़की  के  भीं  मरना  भी  भारी  लगता  है

एक दोस्त की तलाश है मुझे

इतने दोस्तो मे भी एक दोस्त की तलाश है मुझे
इतने अपनो मे भी एक अपने की प्यास है मुझे

छोड आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे........
अब डूब रहा हु तो एक साहिल की तलाश है मुझे

लडना चाहता हु इन अन्धेरो के गमो से
बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे

तंग आ चुका हु इस बेवक्त की मौत से मै
अब एक हसीन जिन्दगी की तलाश है मुझे

दीवना हु मै सब यही कह कर सताते है मुझे
जो मुझे समझ सके उस शख्श की तलाश है मुझे....!!

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !


कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

समंदर पीर का है अन्दर, लेकिन रो नही सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हँगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पला बैठा तो हँगामा,
अभी तक डूब कर सुनते थे हम किस्सा मुहब्बत का
मैं किस्से को हक़ीक़त में बदल बैठा तो हँगामा !!!

इंजिनियर


इंजिनियर वो है जो अक्सर फसता है
इंटरव्यू के सवाल मे
बड़ी कंपनियों की चाल मे
बॉस और क्लाइंट के बवाल मे

इंजिनियर वो है जो पक गया है
मीटिंग्स की झेलाई मे
SUBMISSIONS की गहराई मे
टीमवर्क की छटाई मे

इंजिनियर वो है जो लगा रहता है
सेड्युल को फैलाने मे
टारगेट्स को खिसकाने मे
रोज़ नए -नए बहाने मे

इंजिनियर वो है जो
लंच टाइम मे ब्रेकफास्ट करता है
डिनर टाइम मे लंच करता है
कैम्मुटेशन के वक़्त सोया करता है

इंजिनियर वोह है जो पागल है
चाय और समोसे के प्यार मे
सिगरेट के खुमार मे
बर्ड वाचिंग के विचार मे

इंजिनियर वोह है जो खोया है
REMINDER के जवाब मे
न मिलने वाले हिसाब मे
बेहतर भविष्य के ख्वाब मे

इंजिनियर वो है जिसे इंतज़ार है
वीकएंड NIGHT मनाने का
बॉस के छुट्टी पर जाने का
इन्क्रीमेंट की खबर आने का

इंजिनियर वो है जो सोचता है
काश पढाई पे ध्यान दिया होता
काश TEACHER से पंगा न लिया होता
काश इश्क न किया होता

Friends

I think the most precious thing in life is Friends.
All other relationships are based on self-interests.
The moment interests clash ; all love, affection vanish.
Not so in friendship.

Friendship is not related to age, sex, status, terms or conditions.
No logic, no motive, no plans, no ends .
Just an acceptance of, an admiration for,
a best wish for other human - being , plant or pet .
I firmly believe that -
One can not be a good parent, a good child, a good spouse,
a good worker or manager, a good teacher, a good pupil,
name any relationship, without being able to be
First a Good Friend !!

In life nothing is more joy than company of good friends .
And nothing is more strength than true friends on your side .

अब क्या डुबोयेंगीं मुझे तूफां की ये मौजें

अब क्या डुबोयेंगीं मुझे
तूफां की ये मौजें
साहिल हूँ समुन्दर का
कोई कस्ती नहीं हूँ मैं !

अब क्या बुझायेंगी मुझे
गम की ये आंधियां
जलता हूँ अनल जैसे
कोई दीपक नहीं हूँ मैं !

ना खौफ रहबरी का
ना डर है दुश्मनों से
अभेद दुर्ग हूँ एक
कोई बस्ती नहीं हूँ मैं !

दरिया को मोड़ने का
रखता हूँ हौसला भी
जरा, लड़ने दे वक़्त से
अभी हारा नहीं हूँ मैं !

मंथन तो कर के देख
अमृत भी मिलेगा
समेटे हूँ मैं सागर को
कोई दरिया नही हूँ मैं !!

मुझे आवाज़ दे लेना

मुझे आवाज़ दे लेना कभी जब आंख छलके तो ...
कभी जो दिल न संभले तो ...
मुझे आवाज़ दे लेना ...
कभी जब दूर हो कोई ...
बहुत मजबूर हो कोई ...
कोई आवाज़ न दे तो ...
मुझे आवाज़ दे लेना ...
कोई आंसू न पोंछे तो ...
कोई हसने से रोके तो ...
कोई तुम को सताये तो ...
मुझे आवाज़ दे लेना ...
कभी जब दिन न गुज़रे तो ...
कभी जब रात पड़ जाये ...
कभी दिन में अँधेरा हो ...
मुझे आवाज़ दे लेना ...
मैं तेरे साथ रहता हु ...
मगर फिर भी गुज़ारिश हे ...
कभी जब दिल रुलाये तो ...
मुझे आवाज़ दे लेना ...

दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहीये

दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहीये,

ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहीये,

मुसीबत मे कीसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहीये,

कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,
दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहीये,

उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,
और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहीये,

मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,
बस साहील पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहीये,

उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दूनीया की बीच मँझदार मे,
इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहीये,

अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,
मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,

यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,
पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहीये

in short i love to make friends samje

टूटते तारों के असर की वो अदाएँ याद हैं,

टूटते तारों के असर की वो अदाएँ याद हैं,

बाहों मे सिमटने वाली वो हवाएं याद हैं,

ख्वाबों के फूलों पर थिरकती थी ख्वाहिशों की बूंदे,
आज प्यासे हैं लब,
फिर भी उनकी तरावट याद है,

ना जाने कितनी मासूम कोशिशें की
हमने पानी पर नाम लिखने की,
पर हर बार बहते अक्षरों की
वो मिटती लकीरे याद हैं,

दिलों के प्याले तंग हैं,
और गम हैं सिरों तक भरे हुए,

कहीं छलक ना जाए ज़िंदगी,
अब बस यही दुआएँ याद हैं,

टूटते तारों के असर की वो अदाएँ याद हैं.............