वो ना समझा जिसे हम समझाते रहे



वो ना समझा जिसे हम समझाते रहे,
सारी दुनिया से हम भी छुपाते रहे |

वो ना समझा मेरी दिल के उस राग को ,
पेड़ पौधे भंवर भी जिसे गुनगुनाते रहे |

वो कहता रहा बनव्lऊंगा एक महल तेरे वास्ते
छोटे छोटे घरोंदे हम भी बनाते रहे |

सारी दुनिया की नज़रों में मैं गिर गया,
वक़्त बेवक़्त मुझे वो भी आजमाते रहे |

वो करता रहा किसी बड़े हादसे का इंतज़ार,
छोटे छोटे जख्म हम भी छुपाते रहे |

वो लिखता ही रहा एक गीत मेरे वास्ते,
छोटे छोटे शेर हम भी गुनगुनाते रहे |

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