वो ना समझा जिसे हम समझाते रहे,
सारी दुनिया से हम भी छुपाते रहे |
वो ना समझा मेरी दिल के उस राग को ,
पेड़ पौधे भंवर भी जिसे गुनगुनाते रहे |
वो कहता रहा बनव्Iऊंगा एक महल तेरे वास्ते
छोटे छोटे घरोंदे हम भी बनाते रहे |
सारी दुनिया की नज़रों में मैं गिर गया,
वक़्त बेवक़्त मुझे वो भी आजमाते रहे |
वो करता रहा किसी बड़े हादसे का इंतज़ार,
छोटे छोटे जख्म हम भी छुपाते रहे |
वो लिखता ही रहा एक गीत मेरे वास्ते,
छोटे छोटे शेर हम भी गुनगुनाते रहे |
1 comment:
वो करता रहा किसी बड़े हादसे का इंतज़ार,
छोटे छोटे जख्म हम भी छुपाते रहे |
waah...waah
kya baat hai...bahut khoob
Post a Comment