फकत तेरे प्यार कि खातिर सहे है कितने दुःख मैंने

फकत तेरे प्यार कि खातिर सहे है कितने दुःख मैंने
मगर ये दुःख भी सहकर भला मुझको मिला क्या
मिला जो भी मुझे वो मिला है बस अधूरा ही
अधूरा ही मिला सब जब ये दर्द फिर क्यों पूरा है
पूरे दिल से चाहत कि सनम तुमसे मुहब्बत की
मुहब्बत में मगर साजन तेरी मुझे मिला क्या

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